Baat un Dino kee...

Just found some lines in a closet...dusted ,locked, at times i cant belive I wrote them..

यूँ ना चाह मुझको खुदा हूँ जैसे, साथ चल मेरे हमसफ़र हो जैसे ......
लोग आज भी मुझे देखकर ऐसे मुस्कराते हैं, मुझ पर एहसान किया हो जैसे....
तुम्हारी बातों को ऐसे सहेजा है मैंने , जेवर संभाल के रखे हो जैसे ....
रोज़ बुझे मन से दिन गुजारता हूँ , हारे हुए लश्कर का सिपाही हूँ जैसे ...
तुम्हारी आखें रोज़ बयान करती है ...काजल अश्कों से धुल गया हो जैसे ...
कोई इंसान मुझे अपना बनाना चाहता है ...सारी काइनात से थक हो गया जैसे .......
बिजलियाँ रात भर कड़कती रहीं , तू ने फिर याद किया हो जैसे....

कुछ दिनों से यह क्यूँ हो गया जाना , लम्हों का हिसाब जज्बातों से हार गया जाना ...
जो बच गया था जान में, सो तेरे नाम था, इस पे क्यूँ हर लम्हा फिर सवाल जाना ...
सबने माना के , गिरा हुआ था मैं , तुमने भीड़ से हाथ मिला कर क्या पाया जाना....
सब हुए हरीफ , फिर भी न हारा मैं , तुम्हारी बेऐतबारी ने फना कर दिया जाना....
हूँ हालात की क़ैद में लेकिन , दिल क्यूँ पुकारे चला जाता है जाना जाना ...
आशना हो , इबादत हो , जूनून हो , यह हर लम्हा जता नहीं सकता जाना .....
तेरी दूर से परस्तिश ही कर सकता हूँ , जानता हूँ खुदा को छु नहीं सकते जाना....
 
यह रिश्ता कहीं रिवायत के रास्ते पे चला जाए ....वोह मुकम्मल नहीं जब तक मेरे वजूद में पूरी उतर जाए ......
कुछ इलज़ाम मुझे भी लेने पड़ेंगे अपने सर ...इस मोहब्बत का कसूर पूरा तेरे सर ना जाए ....
इस खौफ से तू कहीं मुझसे रूबरू तो नहीं ....खो कर मुझे, यह शख्स तन्हाई से मर ना जाए ....
पलकों के तेरे आंसू मैं अपने कुर्ते से पोंछ दूं ...माजी की तल्खियाँ कहीं कल तक चली ना जायें ...
दुआओं में मेरी कभी जोर था.....कहीं एक कमरे में तेरी ज़िन्दगी की दोपहर गुज़र ना जाए ...
नयी मोहबत्तों में अक्सर जूनून होता है ..वक़्त के साथ यह खुमार कहीं ढल ना जाए .....
Some times you wonder what "moments" make you do .....

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